
Berojgari Kavita | बेरोजगारी पर कविता – Berojgari Par Kavita | Adhuri Hasrate
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सरकारी नौकरी लगने का अब मत इंतजार कीजिये
Berojgari Par Kavita / Hindi poem on Berojgari
सरकारी नौकरी लगने का अब मत इंतजार कीजिये
ओवरएज हो जायेंगे, अब कोई स्वरोजगार कीजिये !!
कभी एग्जाम, कभी रिजल्ट तो कभी ज्वाइनिन्ग का
सिर्फ इंतजार हैं नौकरियों में, इसे अब परिहार कीजिये !!
साहेबजी ने दिया है कमाने का बेहद आसान फॉर्मूला
किसी की मत सुनिये, बस पकौड़े का व्यापार कीजिये !!
मिनिमम इन्वेस्टमेंट में मैक्सिम इनकम की गारंटी है
बस ठेला उठाइये और हर शाम का बाजार कीजिये !!
बेरोजगारी का जो दाग लगा है आपकी दामन पर
रोज 200₹ से भी ज्यादा कमाके उसे बेदागदार कीजिये !!
चॉकलेट्स न देने से कभी खफा हुई थी जो आपकी माशूका
इस बार ‘फरेरो रोशर’ दे, उससे इश्क का इजहार कीजिये !!
ये जान लीजिये कि कोई भी धंधा छोटा नही होता
सरकार भी कहती है,”बेगारी से अच्छा ये रोजगार कीजिये !!

Poetry on Berojgari | Short Berojgari Kavita
भर्ती निकले तो इम्तेहान नहीं
भर्ती निकले तो इम्तेहान नहीं,
परीक्षा हो तो परिणाम नहीं ,
परिणाम निकले तो joining का नाम नहीं,
आखिर क्यों युवाओ का सम्मान नहीं ?
बस करो मज़ाक अब,
युवा मांगे हिसाब अब,
बात करो, संवाद करो
दो हमारे प्रश्नो का हिसाब अब !!
क्यों हर भर्ती पंच वर्षीय योजना है?
किस नए भारत की ये परियोजना है?
कैसी ये परीक्षा प्रणाली है?
आपने युवाओ की छीन ली जवानी है !!
क्यों पेपर में गलत सवाल डालते ?
फिर 100-100 रूपए व्यापार करते,
रैंक लिस्ट का नहीं प्रावधान करते,
वेटिंग लिस्ट का नहीं समाधान करते,
साहब; दो-चार हो तो बोलू,
अरे आप तो ज़ुल्म हज़ार करते !!
जागो सरकार जागो बस यही कहना है,
हमारी समस्याओ पर ध्यान दो,
1 वर्ष का भीतर पूरी प्रक्रिया हो,
तसल्लिया नहीं, बस नौकरिया हो !!
युवाओ से भी कुछ कहना है,
अब और नहीं सहना है ,
बुलंद अपनी आवाज़ करो,
आज कुछ ऐसी हुंकार भरो,
आ जाये चाहे सैलाब अब,
रुकना नहीं झुकना नहीं,
अपने हको का करना है हिसाब अब !!
Very Short Kavita Berojgari Par
Berojgari Ka Aalam
बेरोजगारी का आलम कुछ ऐसा है छाया,
कर के MA-BA, हमने खुद को बेरोजगार है पाया !!
लेकिन चन्द लोगो की क्या करू मै बखान,
समाज के तानें है माता-पिता पर आपर,
कि बेट को तो पढ़ने भेजे थे बड़े शहर मे,
फिर क्यो बैठा है आपका निठल्ला यूँ बेरोजगार!!
सुनकर समाज के ताने हो गये हैं माता-पिता यूँ निराश,
गुस्से मे आ कर अक्सर उतार देते है वो अपनी भरास,
अब कैसे मैं समझाऊँ उन्हे के मुझे भी नहीं देखा जाता उन्हें यूँ हताश !!
पाना चाहता था जो बड़े अफसरों जैसी सरकारी नौकरी,
करना था जिसे पूरा अपना हर अधूरा सपमा साकार,
अब चपरासी के नौकरी के लिए भी हो गया है वो तैयार !!
घोंट लिया है जिसने अपने सपनों का गला,
दे दिया है जिसने अपने हौसलों का बलिदान,
भला कैसे मैं कहलाना ना चाहूँ, के अब नहीं हूँ मैं बेरोजगार!!
मजबुर बेरोजगार…

Berojgari Kavita | Berojgari Par Kavita
Padhe Likhe Hai Yuva – Berojgari Kavita
पढ़े-लिखे है युवा इस देश के,
बेरोजगारी है भरी, रोज़गार कहाँ !
अब पढ़ाई बस काम की रह गई,
नौकरी का ना अब अधिकार यहाँ !
डिग्री की मोटी पोथी बना ली हमने,
फिर भी ना मिलता सही रोजगार यहाँ !
कहने को तो देश लोकतंत्र है,
पर लगता है देश परतंत्र यहाँ !
चुनींदा पूंजीपतियों के हाथ मे,
देश का सारा बागडोर यहाँ !
उच्च शिक्षा ले कर भी हम,
ना कर सके अशिक्षित वर्ग से हम भेद यहाँ !
कुछ यूँ विडम्बना है इस देश की,
और इसी विडम्बना मे पीसत मध्यवर्ग यहाँ !
मूर्खों के हाथ सत्ता की डोड़ी,
शिक्षित वर्ग रोजगार की ताक मे खड़ा यहाँ !
पढ़े-लिखे है युवा इस देश के,
बेरोजगारी है भरी, रोज़गार कहाँ !
Berojgari Kavita | Berojgari Par Kavita
Zindagi Karti Kuch Yun Skip- Berojgari Par Kavita
ज़िंदगी करती गई कुछ यूँ skip मुझे,
कहीं मैं उस YouTube का अनचाहा परचार तो नहीं !
लोग करने लगे हैं कुछ यूँ Ignore मुझे,
कहीं मैं वो बाढ़ मे लिपटा असम या बिहार तो नहीं !
लोगों ने जब चाहा तोड़ दिया इस दिल को,
कहीं मैं Election के समय बना गठबन्धन वाली सरकार तो नहीं !
भूख, बाढ़ या फिर बेरोजगारी से मरो,
अरे यार बीमार हो तुम, अंबानी का बुखार नहीं !
ना सुने और ना कोई बात करे तुम्हारी,
तो बस समझ जाओ कि तुम सुर्खियाँ बटोरने वाले समाचार भी नहीं !
डाल देते हो हर मद्दे की गलती बस सत्ते वालों पर,
कहीं तुम विपक्ष मे बैठे बेरोजगार तो नहीं !
तुम क्यों job के लिए अक्सर रोए जा रहे हो,
कहीं तुम कुछ दिन पहले अपने नाम के आगे लगाने वाले चौकीदार तो नहीं !

Berozgari Ka Aalam: Yaha Neta Naukri Ke Khatir
सारा जहां यूँ पागल है चंद हसीनाओं के प्यार में,
मुफलिसों के मौत क्यों आयेंगे फिर छप के अखबारों में !
कौन चाहता है यहाँ सुनना, बेबस-लाचारों के दर्द को,
बिक जाना ही मुनासिब है इस टीआरपी के बाजारों में !
ये कौन है जो पिट रहा सड़कों पर नौकरी के खातिर,
युवा हैं सारे तो लगे पड़े यहाँ नेताओं के प्रचारों में !
अफवाह है कि परेशान है लोग भग-दौड़ के आतंक से,
समूचा देश तो झूम रहा है यहाँ दूसरों को नीचा दिखाने मे !
भगवान का भी दिख जाना असंभव नही है आजकल
नामुमकिन है किसान का दिखना किसी भी समाचारों में !

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