
Poem in Hindi About Life – By Simmi Gaur
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Khud Ki Khoj – खुद की खोज
By Simmi Gaur
घर की चारदीवारी में सपने कुछ इस कदर बंद है,
हर बार पंख टकराकर अपना दम तोड दिया करते है।
यूं तो मुझे हसना, मुस्कुराना, बातें बनाना बेहद पसंद है,
नजाने पर वो चार लोग,मेरी मुस्कराहट को चेहरे
से जुदा करने की कोशिश क्यों हीकरते है ?
वैसे कुछ ज्यादा बड़े सपने नहीं मेरे!
वैसे कुछ ज्यादा बड़े सपने नहीं मेरे,
बस एक हरी भरी महफिल हो,और फूलों से सजी दुनिया,
सूरज हो डूबता हुआ,और चारो ओर रंगलालिया।
बच्चो की मीठी आवाज़ हो,और कोयल की चेहचाहट,
बारिश में मै भीगती हुई, और चेहरे पर मीठी सी मुस्कराहट।
दीवारों से मुझे नफरत है,और खुले आसमान से बेहद प्यार,
बिल्कुल ऐसे जीना है मझे,
जैसे बागो में मै बैठी हूं अकेली,
और पीछे से बज रहे हो गिटार,
हाय!!! कितनी फिल्मी दुनिया होगी ना यार!।
ज़िंदगी के सफर में खुद को हम भूल ही जाते है,
बड़े होना,पैसे कमाना,अपनी जरुरतों को ही अपने सपने बना डालते है
ऐसे भी तो जीना है,की मरते वक़्त चेहरे पर मसुकान हो,
ज़िंदगी भर दूसरो के लिए जिए,
आखिरी समय में इस बात से ना हताश हो!
चलो! इस चारदिवारी से निकलकर,
कुछ पल खुद के लिए खोजते है,
२५ घंटे होने वाली इस दिल और दिमाग की लड़ाई को,
कुछ पल के लिए रोकते है।
जब लौटेंगे उस पल से,
तो दिल और दिमाग कर रहे होंगे हमारा शुक्रिया अदा,
मरने से पहले हमने दी तो उन्हें शांत रहने की सजा,
इस शोर भरी महफिल में,
कुछ पल सुकून के ढूंढते है,
इस मोहमाया को छोड़कर,
चलो हम जरा खुद को ढूंढते है!!
हा! हम खुद को ढूंढते है।

Adhuri Hasrate
Co-Author
Poem in Hindi About Life
I am Simmi Gaur lives in Ghaziabad, India. My hobby is to write my emotions and read out loud. I love to express my emotions through my writings.
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