Poem in Hindi on Friendship – दोस्ती कविता
मेरे यार – Mere Yar
By Jayanti Lawatariya
मेरे भी कुछ यार हैं,
जिनमें पागलपन बेशुमार हैं।
एक अकल की कच्ची है,
दूजी लड़ती अच्छी है।
तीसरे की क्या कहु तुम्हें,
वो तो पूरी बच्ची है।
चौथे की तो बात निराली,
लगता पूरा बागियों का माली।
पांचवां तो है पूरा ऐड़ा,
काम करे हरदम वों टेड़ा।
छटवा खाता खुब है आलू,
दिखता जैसे है कोई भालू।
जैसे भी है यार मेरे है,
इस प्यार के हकदार वही है.॥
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